भारतीय किसानों और व्यापारियों के लिए ऋण सुविधा में राहत देने वाला नया कदम आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने हाल ही में उठाया है। बढ़ती महंगाई और कृषि उत्पादन के खर्चों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने बैंकों को कई अहम निर्देश जारी किए हैं, जिससे किसानों और छोटे व्यापारियों को आसानी से और कम ब्याज दर पर कर्जा मिल सकेगा। यह कदम आर्थिक रूप से कमजोर तबके को पैसों की जरूरत के समय मदद पहुंचाने के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है।
भारत जैसी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में जब किसान और छोटे व्यवसायी कर्ज की सुविधा से वंचित रहते हैं, तो इसका असर न सिर्फ उत्पादन पर, बल्कि देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे में आरबीआई द्वारा उठाया गया यह कदम बेहद जरूरी और समयोचित है। नए निर्देशों के अनुसार, गाय-भैंस पालन, मधुमक्खी पालन, बुवाई से लेकर कटाई तक के हर चरण में किसानों को आसानी से लोन मिलेगा।
RBI Relief For Farmers And Traders 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने हालिया आदेश में किसानों के लिए बिना किसी गारंटी के मिलने वाले कृषि ऋण की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी है। पहले यह सीमा 1.6 लाख रुपये थी। यह नई सीमा 1 जनवरी 2025 से लागू होगी।
आरबीआई का कहना है कि खेती के बढ़ते लागत मूल्य को देखते हुए किसानों को और ज्यादा वित्तीय मदद की आवश्यकता है। अधिकांश किसान सीमांत और छोटे किसान हैं, जिनके पास न तो जमीन को गारंटी में रखने की व्यवस्था होती है और न ही बैंक के लिए आवश्यक दस्तावेज। ऐसे में यह कदम किसानों को आर्थिक सहायता देने में बड़ा सहारा बन सकता है।
बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे क्रेडिट देने में लचीलापन बरतें और किसानों से गैरज़रूरी दस्तावेज या सुरक्षा की मांग न करें यदि कर्ज 2 लाख रुपये तक है।
कृषि ऋण की प्राथमिकता और इसके क्षेत्र
आरबीआई के अनुसार, कृषि और इससे संबंधित कार्यों को अब प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending – PSL) के तहत विशेष मान्यता दी गई है। इसका अर्थ है कि बैंकों को अपनी कुल ऋण राशि का विशेष हिस्सा इन क्षेत्रों को देना अनिवार्य होगा। इससे खेती, सहायक क्षेत्रों और कृषि व्यवसायों को सीधे फायदा मिलेगा।
प्राथमिकता क्षेत्र में शामिल कुछ खास ऋण कार्य हैं:
- फसल ऋण, जिसमें धान, गेंहू, सब्ज़ियां, फल, फूल, आदि शामिल हैं।
- दूध उत्पादन, मछली पालन, पशुपालन जैसे सहायक कृषि कार्य।
- कृषि यंत्रों, सिंचाई पंप और ग्रीन हाउस के लिए ऋण।
- भंडारण, ग्रेडिंग और फसलों की मार्केटिंग से जुड़े खर्चों के लिए लोन।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत मिल रहे लोन भी इसी क्षेत्र में आते हैं।
इन कामों में ग्रामीण स्तर पर किसान सहकारी समितियों, कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को भी ऋण देना अब और आसान होगा।
सोना-चांदी गिरवी रखने पर बढ़ी सहूलियत
आरबीआई ने यह साफ किया है कि यदि किसान या व्यापारी अपने गहने या चांदी गिरवी रखकर ऋण लेना चाहते हैं, तो बैंक इसमें कोई अड़चन न डालें। पहले कई बैंक ऐसे कर्ज को तरजीह नहीं देते थे, लेकिन नए आदेश के बाद यह बाध्यता समाप्त की गई है।
इससे खासकर वे किसान लाभान्वित होंगे जिनके पास जमीन का दस्तावेज नहीं होता, लेकिन उनके पास कुछ आभूषण होते हैं। वे अब इस संपत्ति का उपयोग ऋण पाने में कर सकते हैं। इससे आपात स्थितियों जैसे खराब फसल या बीमारी में तत्काल नकद उपलब्ध हो सकेगा।
व्यापारियों और MSME सेक्टर के लिए राहत
आरबीआई ने MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को भी खास राहत दी है। छोटे दुकानदार, सेवा प्रदान करने वाले, और स्वरोजगार में लगे व्यक्ति अब सरल प्रक्रिया से बिज़नेस लोन ले सकेंगे।
बैंकों को हल्का दस्तावेजीकरण अपनाने के निर्देश हैं ताकि छोटे व्यापारियों को तेज़ समय में कर्ज मिल सके। यह उन व्यापारियों के लिए बड़ी राहत है जो महंगे ब्याज दरों पर निजी उधारदाताओं से पैसा लेते थे।
सरल EMI और सस्ती ब्याज दरें इस योजना को और भी सुलभ बनाएंगी। साथ ही, UDYAM रजिस्ट्रेशन जैसे पहचान प्रमाण के आधार पर व्यापारियों को प्राथमिकता आधारित ऋण देने की बात कही गई है।
सरकारी योजना और ब्याज सब्सिडी का लाभ
RBI के निर्देशों के साथ सरकार की ब्याज सहायता योजना (Interest Subvention Scheme) भी किसानों के लिए मददगार है। इसके तहत किसानों को 3 लाख रुपये तक के लोन पर 2% ब्याज सब्सिडी और 3% प्रॉम्प्ट पेमेंट इंसेंटिव दिया जाता है।
यानि किसान यदि समय पर कर्ज चुकाता है तो उसे प्रभावी रूप से 4% तक की ब्याज दर में लोन मिल सकता है। यह पूरे कृषि क्षेत्र को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का एक संयुक्त प्रयास है जहां सरकार और आरबीआई मिलकर किसानों की मदद कर रहे हैं।
बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता
आरबीआई ने बैंकों को यह भी निर्देशित किया है कि वे एक विश्वसनीय क्रेडिट ट्रैकिंग सिस्टम अपनाएं। इसके लिए यूनिक बोर्रॉवर आईडी का उपयोग शुरू किया जाएगा, जिससे किसी एक किसान या व्यापारी के नाम पर बार-बार कर्ज लेना रोका जा सके और धोखाधड़ी में कमी आए।
इससे बैंक भी सुरक्षित रहेंगे और ऋण वितरण में पारदर्शिता आएगी। किसान एवं व्यापारी को कभी “क्रेडिट नेगेटिव” नहीं माना जाएगा यदि उनका रिकॉर्ड सही हो।
निष्कर्ष
आरबीआई के इन नए निर्देशों से देश भर के लाखों किसानों और छोटे व्यापारियों को सीधा लाभ मिलेगा। बिना गारंटी के 2 लाख तक के ऋण, गिरवी विकल्पों में लचीलापन और सरकारी ब्याज सब्सिडी योजनाएं मिलकर एक मजबूत वित्तीय ढांचा तैयार करेंगी। यह निर्णय ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्थिर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।