सीएनजी यानी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस एक समय में भारत में सबसे सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन माना जाता था। खासकर जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही थीं, तब आम आदमी ने सीएनजी को एक सस्ते विकल्प के रूप में अपनाया। ऑटो, टैक्सी चालक से लेकर निजी वाहन मालिकों तक, बड़ी संख्या में लोग सीएनजी से अपने वाहनों को चलाने लगे।
लेकिन अब हालात काफी बदल गए हैं। हाल ही में सरकार की नीतियों और वैश्विक बाजार में प्राकृतिक गैस के दामों में बढ़ोतरी के चलते सीएनजी की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। देश के कई बड़े शहरों में सीएनजी अब पेट्रोल से भी महंगी होती जा रही है, और इसका असर सीधे तौर पर आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है।
असली कारण
सीएनजी की कीमत बढ़ने का मुख्य कारण घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि है। अप्रैल 2023 में भारत सरकार ने घरेलू गैस कीमत निर्धारण के लिए जो नया फॉर्मूला लागू किया, उसके तहत अब गैस की कीमतें भारतीय कच्चे तेल की औसत कीमत (Indian Crude Basket) पर आधारित की जाने लगीं। इससे प्राकृतिक गैस की लागत में स्थिरता तो आई, लेकिन धीरे-धीरे यह महंगी भी होती गई।
इसके साथ ही, सरकार ने सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) कंपनियों को दी जाने वाली घरेलू सस्ती गैस की आपूर्ति को भी घटा दिया है। पहले कंपनियों को एक तय मात्रा में घरेलू गैस सस्ती दरों पर मिलती थी, जिससे वे सीएनजी और घरेलू पीएनजी (पाइप नेचुरल गैस) की आपूर्ति करती थीं। अब जब कोटा घटा है, तब उन्हें महंगी आयातित गैस खरीदनी पड़ रही है, जिसकी लागत कहीं अधिक होती है।
इस लागत में इजाफा सीधे सीएनजी की खुदरा दरों पर दिख रहा है। कंपनियां अपने घाटे को कंपन्सेट करने के लिए धीरे-धीरे सीएनजी की कीमतें बढ़ा रही हैं, जो आम ग्राहक को महंगी गैस के रूप में भुगतनी पड़ रही है।
प्रमुख शहरों में CNG की वर्तमान कीमतें
देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही में सीएनजी की कीमत को 1 रुपये प्रति किलो तक बढ़ाया गया है। अब दिल्ली में सीएनजी की दर 77.09 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है, जबकि यह पहले 76.09 रुपये थी। नोएडा और गाजियाबाद जैसे स्थानों में सीएनजी की दर अब लगभग 85.70 रुपये प्रति किलो हो गई है।
लखनऊ और आगरा जैसे शहरों में हालत और भी बदतर हैं। वहां पर ग्रीन गैस लिमिटेड ने सीएनजी की कीमतें 96.75 रुपये प्रति किलो तय की हैं, जो कि पेट्रोल की कीमत (लगभग 94.81 रुपये प्रति लीटर) से भी अधिक है। इस वजह से अब वाहन मालिकों के लिए सीएनजी का विकल्प सस्ता नहीं रहा।
इसके अलावा मेरठ, कानपुर, बनारस जैसे शहरों में भी सीएनजी की दरों में 2-3 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी देखी गई है। बड़े महानगरों में जहां सीएनजी टैक्सियों और ऑटो रिक्शाओं की संख्या बहुत अधिक है, वहां यह बढ़ोतरी सीधे पब्लिक ट्रांसपोर्ट और यात्रियों की जेब पर असर डाल रही है।
सरकार की नीतियां और योजना
भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2023 में घरेलू गैस मूल्य निर्धारण नीति में बदलाव किया गया था। नए फॉर्मूले के अनुसार, गैस की कीमत इंडियन क्रूड बास्केट के औसत के 10% के बराबर तय की जाती है। इसके अलावा सरकार ने गैस की न्यूनतम और अधिकतम कीमत तय कर दी है — यानी एक फ्लोर प्राइस और एक कैप। इससे उद्देश्य यह था कि घरेलू गैस उत्पादन कंपनियों को नुकसान न हो, और आम जनता को भी कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से राहत मिल सके।
लेकिन वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार ने इस कैप की सीमा को 4% तक बढ़ा दिया है, जिससे ONGC, OIL जैसी कंपनियों को अधिक लाभ मिलेगा। हालांकि इससे सीधा असर गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की लागत पर पड़ा है।
सरकार ने CNG और घरेलू गैस आपूर्ति को लेकर जो बदलाव किए हैं, उनमें घरेलू आपूर्ति को प्राथमिकता देनी की बात कही गई है। लेकिन शहरी गैस वितरण कंपनियों को सस्ती गैस देने का कोटा कम कर दिया गया है, जिससे उन्हें अब महंगी गैस खरीदनी पड़ रही है। वहीं उर्वरक क्षेत्र को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अब भी सब्सिडी जारी रखे हुए है।
आम जनता पर असर
CNG की कीमतों में बढ़ोतरी आम नागरिकों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है। ऑटो और टैक्सी चालकों की आमदनी पर सीधा असर पड़ रहा है क्योंकि उन्हें ईंधन की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है, जबकि किराया बढ़ाना हमेशा संभव नहीं होता। इससे उनकी बचत कम हो रही है और जीवन यापन कठिन होता जा रहा है।
सिर्फ सार्वजनिक परिवहन ही नहीं, बल्कि वे निजी वाहन उपयोगकर्ता भी प्रभावित हो रहे हैं, जिन्होंने पहले कम खर्चे के लिए सीएनजी गाड़ी खरीदी थी। अब जब सीएनजी भी पेट्रोल जैसी महंगी हो गई है, तो उनमें असंतोष स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।
घरेलू उपयोग की बात करें तो जिन घरों में पाइप के जरिए पीएनजी गैस सप्लाई होती है, वहां भी बिल में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इससे घरेलू बजट पर भी असर पड़ा है, खासकर मध्यवर्ग व निम्न आय वर्ग पर।
इसकी एक और बड़ी चिंता यह है कि लोग फिर से पेट्रोल व डीजल की ओर रुख कर सकते हैं क्योंकि अब मूल्य अंतर बहुत कम हो गया है। इससे फिर प्रदूषण बढ़ने का खतरा है क्योंकि सीएनजी एक साफ ईंधन है और इसे लेकर काफी जागरूकता फैलती रही है।
समाधान क्या हो सकता है?
CNG की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को चाहिए कि वह गैस वितरण कंपनियों को घरेलू गैस की अधिक आपूर्ति करे ताकि वे महंगी आयातित गैस पर पूरी तरह निर्भर न रहें।
इसके अलावा, सीएनजी उपभोक्ताओं के लिए कोई विशेष सब्सिडी योजना शुरू की जा सकती है जिससे गरीब व मध्यम वर्ग की जेब पर बोझ कम हो।
सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कीमतों में असंतुलन न हो, और यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटें तो उसका लाभ उपभोक्ताओं को जल्द मिले।
निष्कर्ष
CNG की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। जो माध्यम वर्ग और कमजोर वर्ग पहले इसे सस्ते ईंधन के विकल्प के रूप में देखते थे, अब वे भी इससे परेशान हो गए हैं। सरकार को आवश्यक कदम उठाकर इन कीमतों को संतुलित करने की जरूरत है ताकि स्थिरता बनी रहे और आम जनता को राहत मिल सके।