भारतीय लोग अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा हुआ कीमती सामान, जैसे सोना, ज्वेलरी, ज़रूरी दस्तावेज़ और गहने, बैंक लॉकर में सुरक्षित रखते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बैंक लॉकर से सामान गायब होने या चोरी की खबरें सामने आई हैं, जिससे लोगों में लॉकर की सुरक्षा, जिम्मेदारी और मुआवजे के नियमों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंक लॉकर से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इन नए नियमों के बाद अब ग्राहकों को लॉकर से सामान चोरी या गुम हो जाने पर सख्त शर्तों के साथ मुआवजा मिल सकता है। ये नियम सभी बैंकों व ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।
लॉकर में कीमती सामान रखते समय आपको पता होना चाहिए कि पैसा, गहने या दस्तावेज यदि किसी बैंक की लापरवाही से खो जाते हैं तो आपको किस हद तक मुआवजा मिल सकता है। आइये जानते हैं बैंक लॉकर नए नियम, कितनी मिलेगी भरपाई और ग्राहक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Bank Locker New Rules
RBI के निर्देश अनुसार, अगर बैंक की लापरवाही, सुरक्षा में चूक, कर्मचारियों की गलती या किसी तकनीकी फेल होने के कारण लॉकर से सामान चोरी, नुकसान या गुम हो जाता है, तो वह ग्राहक को मुआवजा देने के लिए बाध्य है।
मुआवजे की राशि की गणना आपके लॉकर की सालाना किराया राशि के आधार पर की जाती है। बैंक आपको लॉकर के सालाना किराए का सौ गुना तक का मुआवजा दे सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके लॉकर का सालाना किराया ₹3,000 है, तो अधिकतम मुआवजा ₹3,00,000 तक मिलेगा।
नियमों की मुख्य बातें
- मुआवजा सिर्फ तभी मिलेगा जब नुकसान के पीछे बैंक की लापरवाही साबित हो।
- प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, भूकंप, आग आदि की दशा में, आमतौर पर बैंक की जिम्मेदारी नहीं बनती, जबतक सुरक्षा उपाय पूरे हों।
- अगर नुकसान आपके खुद की गलती, चाबी गुम होने, या गलत उपयोग से हुआ है, तो मुआवजा नहीं मिलेगा।
नीचे टेबल में मुआवजे का उदाहरण देखें:
लॉकर सालाना किराया | अधिकतम मुआवजा राशि |
---|---|
₹1,000 | ₹1,00,000 |
₹2,000 | ₹2,00,000 |
₹3,000 | ₹3,00,000 |
₹4,000 | ₹4,00,000 |
लॉकर से सामान गायब – शिकायत और नियम
अगर आपको लगता है कि लॉकर से आपका कोई सामान खो गया है या चोरी हुआ है, तो तुरंत पुलिस में एफआईआर दर्ज करें और बैंक को लिखित शिकायत दें। बैंक से लॉकर एरिया की सीसीटीवी फुटेज भी मांग सकते हैं।
इसके बाद बैंक आंतरिक जांच करता है। अगर बैंक की गलती या सुरक्षा में चूक की पुष्टि होती है, तभी मुआवजा मिलेगा। अगर बैंक का जवाब संतोषजनक नहीं है, तो आप RBI बैंकिंग लोकपाल (Ombudsman) से शिकायत कर सकते हैं।
लॉकर अनुबंध की अहमियत और नए नियम
2021 से बैंक लॉकर के लिए नया अनुबंध लागू किया गया है। हर लॉकर ग्राहक को बैंक द्वारा संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है। इसमें ग्राहक के अधिकार, बैंक की जिम्मेदारी, मुआवजा सीमाएं और विवाद निपटान की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है।
यदि नया अनुबंध या उसकी शर्तें समय पर पूरी नहीं की गईं, तो बैंक आपके लॉकर को बंद या सील कर सकता है। इसलिए सभी ग्राहकों को सलाह है कि समय से अनुबंध की प्रक्रिया पूरी करें और बैंक जैसी संस्था से रसीद, पहचान व अनुबंध की कॉपी जरूर रखें।
ग्राहक के लिए जरूरी सुझाव
- लॉकर के सालाना किराए, सहमति पत्र और समझौते की कॉपी सुरक्षित रखें।
- लॉकर में रखें सामान की सूची, फोटो या बीमा कराना अच्छा रहेगा।
- जरूरत से ज्यादा महंगे गहनों या वस्तुओं के लिए निजी बीमा जरूर लें, क्योंकि मुआवजा लिमिट आमतौर पर लॉकर किराए से जुड़ा होता है।
- अगर लॉकर से सामान गायब हो तो देरी न करें – तुरंत बैंक और पुलिस से संपर्क करें।
- नई नीति के अनुसार ई-केवाईसी और ड्राफ्टड अनुबंध पर हस्ताक्षर भी अनिवार्य हैं।
छोटी, पर अहम जानकारियां
अगर आपकी कोई कीमती वस्तु बैंक लॉकर से गायब होती है और बैंक की लापरवाही या गलती साबित होती है, तो आपको आपके लॉकर के सालाना किराए का 100 गुना तक मुआवजा मिल सकता है। लेकिन प्राकृतिक आपदा, खुद की गलती या बिना प्रमाण के ऐसे मामलों में मुआवजा नहीं मिलता।
नए नियमों के मुताबिक अपने अनुबंध व लॉकर उपयोग की सभी शर्तें सही तरीके से पूरी करें। बैंक के मुआवजे की सीमा समझें और जहां जरूरी लगे, अतिरिक्त बीमा भी लें – ताकि आपके कीमती सामान की सुरक्षा में कोई कमी न रह जाए। इससे आपका कीमती सामान सुरक्षित और आपका मन निश्चिंत रहेगा।